भारतीय भाषा आन्दोलन द्वारा मातृदिवस पखवाड़ा पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति सौरभ लावानिया , विशिष्ठ अतिथि न्यायमूर्ति राजीव सिंह, मुख्य मंत्री के मीडिया सलाहकार डॉ रहीस सिंह, अवध बार के अध्यक्ष हरगोविंद सिंह परिहार, बार के सचिव शरद पाठक एवं भारतीय भाषा आन्दोलन के राष्ट्रीय सचिव हरि गोविंद उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त किए।
न्यायमूर्ति सौरभ लावानिया ने कहा कि भाषा विचार का उच्च माध्यम है, जिसमें व्यक्ति अपना विचार व्यक्त करता है। हिन्दी भाषा परिष्कृत और 60 करोड़ जनता के द्वारा बोलीं जाती है, अधिवक्ता हिन्दी में याचिका दायर करेंगें तो उस पर आदेश भी होगा। हम लोग भी हिन्दी को प्राथमिकता देते हैं।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने बताया कि हिन्दी भाषा का आदर हम सबको करना चाहिए क्योंकि यह भाषा माता के गर्भ से लेकर बच्चे के जन्म के बाद तक व्यावहार में आती है। इसलिए इसे समझना सबसे सरल है।
डॉ रहीस सिंह ने कहा कि यदि हिन्दी का सम्मान और प्रोत्साहन हम घर से प्रारंभ करें तभी इसको उचित सम्मान मिल सकता है। भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है ।न्याय तो अपनी मातृभाषा में ही हो सकता है, वादी को जो न्याय मिलता है वो अगर उसकी समझ में नहीं आता है तो उस न्याय का क्या अर्थ, फिर तो वो निर्णय हो जायेगा। यदि भारत के लोग हिन्दी को व्यावहार में लाये तो वह दिन दूर नहीं कि पूरा विश्व उसे स्वीकार करेगा ।
राष्ट्रीय सचिव हरि गोविंद उपाध्याय ने विषय प्रस्तुत करते हुए कहा कि जो व्यक्ति न्यायालय में आता है, समय और धन दोनों ख़र्च करता है ,उसी के लिए न्यायालय बना है। इसलिए वादी के समझ में आने वाली भाषा में ही न्याय होना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रवण कुमार ने किया। कार्यक्रम में मुख्य स्थायी अधिवक्ता जय कृष्ण सिन्हा, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता राकेश चौधरी, पूर्व अवध बार अध्यक्ष ए एम त्रिपाठी, भाषा आन्दोलन के संयोजक जगदीश मौर्य, ललित किशोर त्रिपाठी, ललित सिंह, लावकेश गिरी, मोहन सिंह, अमरेंद्र सिंह, करुणाकर श्रीवास्तव ,अनीता तिवारी, अंकित सिंह, डॉ उदय वीर सिंह, रणविजय सिंह, अजय कुमार सिंह, रितेश सिंह, सुनील सिंह, दिनेश चंद्र त्रिपाठी, बनवारी लाल, परम शंकर सहित भारी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे