चीन ने मंगल ग्रह के लिए अपने पहले मिशन तिआनवेन1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। चीन का सबसे हैवी रॉकेट लॉन्ग मार्च-5 Y4 इस अंतरिक्ष यान को लेकर रवाना हुआ। इसमें छह पहियों वाला रोबोट है। इसे हैनियान से लॉन्च किया गया। तिनानवेन शब्द का अर्थ स्वर्ग से सवाल पूछना होता है। यह फरवरी तक रेड प्लेनेट के ऑर्बिट में पहुंच जाएगा। चीन का दावा है कि इस यान से अनंत अंतरिक्ष में खोज के नए युग की शुरुआत होगी।
गौरतलब है कि, चीन ने 2022 तक स्पेस स्टेशन बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उसके लिए यह मिशन किसी मील के पत्थर से कम नहीं है। इस मिशन के बाद चीन उस क्लब में शामिल हो गया है, जिसमें अमेरिका, यूरोप, रूस, भारत और यूएई ही हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, इसमें छह पहियों वाला रोबोट है, जो मंगल की सतह पर उतरकर मिट्टी की जांच करेगा। इसे हैनियान से लॉन्च किया गया। बता दें कि, तिआनवेन शब्द का अर्थ होता है, स्वर्ग से सवाल पूछना। यह फरवरी तक लाल ग्रह के ऑर्बिट में पहुंच जाएगा।
चीन ने अपना सबसे पहला मंगल मिशन 2011 में हिंगहू-1 के नाम से लॉन्च किया था, लेकिन उसे इसमें सफलता हासिल नहीं हुई। चीनी अधिकारियों ने गुरुवार को जानकारी दी कि हैनियान प्रांत स्थित वेनचांग अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण केंद्र से वेंशांग स्पेसक्राफ्ट द्वारा 12:41 बजे देश के सबसे बड़े लॉन्च वीइकल मार्च-5 रॉकेट के जरिए 5 टन वजनी अंतरिक्ष यान तिआनवेन 1 को लॉन्च किया गया।
शिन्हुआ ने ‘चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (सीएनएसए) के हवाले से बताया कि ऑर्बिटर और रोवर के साथ गए अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपण के 36 मिनट बाद पृथ्वी-मंगल स्थानांतरण कक्षा में भेज दिया गया। यह मिशन करीब 7 महीने में पूरा होगा।
मंगल के पर्यावरण और मिट्टी की जांच करेगा रोवर
‘तिआनवेन 1’ नामक यान मंगल ग्रह का चक्कर लगाने, मंगल पर उतरने और वहां रोवर की चहलकदमी के उद्देश्य से प्रक्षेपित किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यान मंगल ग्रह की मिट्टी, चट्टानों की संरचना, पर्यावरण, वातावरण और जल के बारे में जानकारी एकत्रित करेगा।
देश के सबसे बड़े और सर्वाधिक शक्तिशाली रॉकेट लांग मार्च-5 की सहायता से रोबोटिक प्रोब को पृथ्वी-मंगल स्थानांतरण पथ पर भेजा जाएगा जिसके बाद यान मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव में स्वतः अपनी यात्रा शुरू करेगा।
मंगल की कक्षा में पहुंचते ही अलग होंगे लैंडर और रोवर
चीन की सरकारी अंतरिक्ष कंपनी ‘चाइना एरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्प’ के अनुसार यान सात महीने तक यात्रा करने के बाद मंगल पर पहुंचेगा। कंपनी ने कहा कि यान के तीन भाग- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर मंगल की कक्षा में पहुंचने के बाद अलग हो जाएंगे। ऑर्बिटर लाल ग्रह की कक्षा में चक्कर लगाकर जानकारी जुटाएगा जबकि लैंडर और रोवर मंगल की सतह पर उतरकर वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे।
भारत ने रचा था इतिहास
भारत ने 2014 में अपने पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था। भारत को छोड़कर कोई अन्य देश अपने पहले ही प्रयास में लाल ग्रह पर पहुंचने में सफल नहीं हो पाया।